आज, बुद्ध पूर्णिमा है। ईसा से 563 साल पहले, कपिलवस्तु में, लुम्बिनी नाम की जगह पर, आज के ही दिन, सिद्धार्थ यानी भगवान गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था। जैसा कि हम सब जानते हैं, सिद्धार्थ, 29 साल की उम्र में, जीवन के सत्य की खोज में निकल पड़े और इस तरह, बन गए- भगवान गौतम बुद्ध। उनके विचार, आज भी, हमें रास्ता दिखाते हैं। भगवान बुद्ध ने कहा था- सच्ची शांति और खुशी, हमारे अंदर है, इसे कहीं बाहर मत ढूंढो। अक्सर हम, खुशियों और अपने मन के सुकुन को, बाहर ढूंढते हैं। हमनें अपनी, भावनाओं को भी मैटिरीयलिस्टिक बना दिया है। हम कई चीजों के बारे में सोचते हैं, ये कर लेंगे, या ये सब पा लेंगे, फिर खुशी मिलेगी।
मिलेगी। पेरेंट्स सोचते हैं, बच्चों की जिम्मेदारियों से फ्री हो जाएंगे, तब आराम की जिंदगी जीएंगे। युवा, भी कुछ इसी तरह, अपनी मंजिल पाने के लिए, चिंतित हैं, कि जो प्लान किया है, वो सब कर लेंगे, उसके बाद इन्जॉय करेंगे। क्या कहीं ऐसा कोई रूल है कि अपनी मंजिल पाने से पहले, इन्जॉय नहीं कर सकते? इंडिया में जीवन प्रत्याशा यानी, हम अधिकतम कितने साल जीते हैं। 70 के करीब है। अब अगर सोचें कि 60 में रिटायरमेंट के बाद, इन्जॉय करेंगे, जिंदगी को खुलकर जिएंगे, तो कितने साल बचते हैं। और, उससे भी बड़ी बात, अगले पल का हमें पता नहीं कि, अगली सांस आएगी भी या नहीं। और हम, सालों बाद की प्लानिंग करते हैं।
आज हम, इतना तेज भाग रहे हैं, कि हमें पता ही नहीं चलता, कब अपने पीछे छूट गए। इस अंधी रेस में, आंखे जब खुलती हैं, उस वक्त, या तो परिवार टूट चुका होता है, या वो इनसान खुद। अपनों के साथ खुशहाल और प्यार भरी जिंदगी की जगह, हम एक लग्जरियस लाइफ में उलझ गए हैं। लेकिन मायने सिर्फ यही रखता है: कि आपने, अपने और दूसरों के लिए, जिंदगी को कितने प्यार से जीया, और कितनी शालीनता से उन चीजों को छोड़ दिया, जो आपको नहीं मिलीं।" असल में, जिंदगी यही है, जो आप इस पल में जी रहे हैं। द रेवोल्यूशन - देशभक्त हिंदुस्तानी की ओर से, आप सभी को, बुद्ध पूर्णिमा की बहुत-बहुत बधाई।